कमीने टीचर ने की मेरी मां की चुदाई (Kamine Teacher Ne Ki Meri Maa Ki Chudai)

 


मैं आपको एक नई कहानी सुनाने जा रही हूँ जो कि बिल्कुल सच्ची कहानी है।

मैं 23 साल की हूँ और सुंदर लड़की हूँ। मेरी कहानी एक माँ और उसके आशिक़ द्वारा एक मासूम लड़की को गंदे कामों में धकेलने की है।

मेरे पापा एक बैंक में काम करते हैं और मेरे पापा की मेरी मम्मी के साथ पटती नहीं है, वे हमेशा देर से घर आते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, मेरी तरफ़ उनका ज़रा भी ध्यान नहीं है।


यह कोई 5 साल पहले की घटना है, तब में 18 साल की थी। मैं बारहवीं में पढ़ रही थी। मैं मैथस में कुछ कमजोर थी तो मम्मी ने मुझे पढ़़ाने के लिए एक मैथ टीचर रखा था, जिस की उम्र क़रीब 28 साल की होगी। वो टीचर देखने में अच्छा था।


पहले ही दिन मम्मी ने उन्हें और मुझे अपने कमरे में बुलाया और हिदायतें देना शुरू कर दी। मम्मी ने मुझ से टीचर के लिए चाय बनाने को कहा और मैं चली गई जब में चाय लेकर आई तब मैंने देखा की मम्मी के कपड़े अस्त व्यस्त थे और टीचर के शर्ट पर मम्मी के लंबे बाल थे। मम्मी का पाऊडर भी उन पर लगा हुआ था।

मैं समझ गई थी कि वे दोनों प्यार कर रहे थे।

मुझे देख कर वे दोनों पहले की तरह ही बैठ गये जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।


टीचर हर रोज शाम के 5 बजे आया करते थे और मुझे पढ़़ाने और समझाने के बहाने इधर उधर हाथ फ़िराया करते थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। मगर मैं किससे अपनी बात कहती।


एक दिन टीचर ने मुझे कुछ याद करने को कहा था और मैंने नहीं किया था। बस उन्होंने मेरी गोल चूचियों की चुटकी ली और बोले- तुम कुछ भी पढ़़ती नहीं हो, मैं तेरी मम्मी से बात करूँगा।

इतना कह कर वे रसोई में चले गये जहाँ मम्मी खाना बना रही थी।

उनके आते ही मम्मी ने पूछा- तुम्हारा काम हो गया?

टीचर ने कहा- हाथ ही रखने नहीं देती, चूत क्या देगी। मेरा तो लंड बड़ा हो गया है, उसे शांत करना पड़ेगा।

मम्मी ने कहा- मैं हूँ ना!


इतना कह कर उन्होंने टीचर की पैंट का ज़ीप खोल कर टीचर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। टीचर का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मेरी चूत में चींटियाँ रेंगने लगी। मैं वो दृश्य देख ना सकी और अपने रूम में आ गई।

यह दृश्य मेरे मन में कई दिनों तक छाया रहा और मैं रात भर टीचर का लंड याद कर कर के मैं सो नहीं पाती थी।


कभी अपनी चूचियों को सहलाती तो कभी चूत को… मेरे बुर से पानी झरने लगता था। मैं यह सोचती थी कि लंड को चूसना शायद अच्छा लगता होगा और यदि मैं किसी का लंड चूसती हूँ तो वो मेरी भी बुर चाटे। ये ओरल सेक्स की बातें सोच कर मेरी चूत में खलबली मच जाती थी। मैं भी टीचर का लंड चूसने बेताब हो गई।


एक दिन टीचर बोले- आओ मैं तुम्हें मैथ का ये फारमूला सिखा दूँ!


मैं टीचर के पास बैठ गई और वे बहाने से मेरी चूचियों सहलाते रहे। मुझे यह अच्छा लग रहा था और मैंने अनजाने में अपनी टाँगें फैला दीं। बस उन्होंने अपना हाथ वहाँ रखा और धीरे से मेरे बटन खोलने लगे।


मैंने कहा- मम्मी आ जाएगी, अभी कुछ मत करो!

उसने कहा- चल मेरी जान, तेरी मम्मी भी मुझ से डलवाती है, आ भी जाए तो भी कोई फ़रक नहीं पड़ेगा।

टीचर ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूचियों और बुर को चाटने लगे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।


इतना बड़ा लण्ड पाकर मैं ख़ुश हो गई और मज़े से चूसने लगी।


तभी मेरी मम्मी आ गई और ग़ुस्से से लाल होकर बोली- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो। ज़रा मुझे भी बताओ?

टीचर ने कहा- मैं तुम्हारी बेटी को तैयार कर रहा हूँ। इसकी चूत बहुत मीठी है इसे तुम भी चाटो।

मेरी मम्मी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगी। मम्मी का मेरी चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।


उधर टीचर ने अपना पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और फिर उसने मुझे जी भर के चाटना शुरू किया। मम्मी के साथ चुदाई का यह खेल मुझे नर्वस कर रहा था। मगर मन में यह बात भी थी कि मेरी अपनी मम्मी ने मुझे सेक्स की सारी चीज़ें सिखाईं।


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